नैनो टेक्नोलॉजी का अविष्कार छह सौ ईसा पूर्व नालंदा तक्षशिला विश्वविद्यालय में कणाद जैसे वैज्ञानिकों ने किया था। रामायण महाभारत युग में इस टेक्नोलॉजी का अविष्कार हो चुका था। ब्रम्हास्त्र नैनो टेक्नोलॉजी की देन है। भारत और दुनिया के वैज्ञानिक आज भी प्रकाश की रहस्यमयी प्रकृति से दिन प्रतिदिन रोमांचित है और भविष्य में ब्रह्माण्ड में होने वाली सभी घटनाओ को नियंत्रित करने की ओर अग्रसर हो रहा है. सुरक्षा,चिकित्सा,कंप्यूटिंग और नैनो टेक्नोलॉजी के अन्य अनुप्रयोगों का उपयोग वैद्युतिकी, शक्ति और भौतिकी की शाखाओं में करता है। नैनो टेक्नोलॉजी को ऊर्जा सम्बन्धी अनुप्रयोग तापीय विद्युत का उत्पादन, तापीय आयन और प्रकाश विद्युतीय प्रभाव आदि को इस प्रकाश वर्ष 2015 में पुनः विश्वपटल पर लाने की जरुरत है . see more here…..
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